वेब ब्राउज़र एक प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो की विश्वव्यापी वेब या स्थानीय सर्वर पर उपलब्ध लेख, छवियों, चल-छित्रों, संगीत, और अन्य जानकारियों इत्यादि को देखने तथा अन्य इन्टरनेट सुविधाओं के प्रयोग करने मैं प्रयुक्त होता है। वेब पृष्ठ एच.टी.एम.एल. नामक कंप्यूटर भाषा मैं लिखे जाते है, तथा वेब ब्राउजर उन एच.टी.एम.एल. पृष्ठों को उपभोक्ता के कंप्यूटर पर दर्शाता है। व्यक्तिगत कंप्यूटरों पर प्रयोग होने वाले कुछ मुख्य वेब ब्राउजर हैं इन्टरनेट एक्स्प्लोरर , मोजिला फ़ायरफ़ॉक्स, सफारी, , फ्लॉक और गूगल क्रोम, इत्यादि।
सन १९९१ में टिम बर्नर ली ने कई तकनीकों के संयुक्त प्रयोग से मिलाकर वेब ब्राउजर की नींव रखी थी। इस वेब ब्राउजर का नाम वर्ल्ड वाइड वेब रखा गया था, जिसे लघुनाम में डब्ल्यु.डब्ल्यु.डब्ल्यु
भी कहते हैं। पृष्ठको यूआरएल (यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) के रूप में लोकेट
किया जाता है, और यही यू.आर.एल वेब पते के तौर पर जाना जाता है। इस वेब
पते का आरंभ अंग्रेज़ी के अक्षर-समूह एच टी टी पी से होता है। कई ब्राउजर एचटीटीपी के अलावा दूसरे यूआरएल टाइप और उनके प्रोटोकॉल जैसे गोफर, एफटीपी आदि को सपोर्ट करते हैं।
Thursday, 31 January 2013
HISTORY OF WWW
विश्व व्यापी वेब पर एक वेब पन्ने को देखने की शुरुआत सामान्यत: वेब ब्राउजर (Web browser) में उसका URL लिख कर अथवा उस पन्ने या संसाधन के हाइपरलिंक (hyperlink)
का पीछा करते हुए होती है.तब उस पन्ने को ढूंढ कर प्रर्दशित करने के लिए
वेब ब्राउजर अंदर ही अंदर संचार संदेशों की एक श्रृंखला आरंभ करता है.
सबसे पहले URL के सर्वर-नाम वाले हिस्से को विश्व में वितरित इन्टरनेट डाटा-बेस, जिसे की डोमेन नाम प्रणाली (domain name system) या DNS के नाम से जाना जाता है, की सहायता से आईपी (IP address) पते में परिवर्तित कर दिया जाता है.वेब सर्वर (Web server) से संपर्क साधने और डाटा पैकेट (packets) भेजने के लिए ये आईपी पता जरुरी है.
उसके बाद ब्राउजर वेब सर्वर के उस विशिष्ट पते पर HTTP की प्रार्थना भेज कर रिसोर्स से अनुरोध करता है.एक आम वेब पन्ने की बात करें तो, वेब ब्राउजर सबसे पहले उस पन्ने के HTML टेक्स्ट के लिए अनुरोध करता है और तुंरत ही उसका पदच्छेद (parsed)(PARSED) कर देता है, उसके बाद वेब ब्राउजर पुनः अनुरोध करता है उन छवियों और संचिकाओं के लिए जो उस पन्ने के भाग हैं.एक वेबसाइट की लोकप्रियता सामान्यत: इस बात से मापी जाती है की कितनी बार उसके पन्नों को देखा (page view) गया या कितनी बार उसके सर्वर को हिट (hits) किया गया या फिर कितनी बार उसकी संचिकाओं के लिए अनुरोध किया गया.
वेब सेवक से आवश्यक संचिकाएँ प्राप्त करने के बाद ब्राउज़र उस पन्ने को स्क्रीन पर HTML, CSS (CSS) एंवं अन्य वेब भाषाओँ के निर्देश के अनुसार प्रर्दशित (renders) करता है.जिस वेब पन्ने को हम स्क्रीन पर देखते हैं उसके निर्माण के लिए अन्य छवियों एंवं संसाधनों का भी इस्तेमाल होता है.
अधिकांश वेब पृष्ठों में उनसे संबंधित अन्य पृष्ठों और शायद डाउनलोड करने लायक वस्तु, स्रोत दस्तावेजों, परिभाषाएँ और अन्य वेब संसाधनों के हाइपरलिंक (hyperlink) स्वयं शामिल होंगे.इस उपयोगी और सम्बंधित संसाधनों के समागम को, जो की आपस में हाइपरटेक्स्ट लिंक के द्वारा जुड़े हुए हों, को जानकारी का "वेब" कहा गया.इसको इन्टरनेट पर उपलब्ध कराने को टीम बर्नर्स-ली नें सर्वप्रथम 1990 में विश्वव्यापीवेब( एक शब्द जो कैमलकेस (CamelCase) में लिखा गया पर बाद में त्याग दिया गया) का नाम दिया.
सबसे पहले URL के सर्वर-नाम वाले हिस्से को विश्व में वितरित इन्टरनेट डाटा-बेस, जिसे की डोमेन नाम प्रणाली (domain name system) या DNS के नाम से जाना जाता है, की सहायता से आईपी (IP address) पते में परिवर्तित कर दिया जाता है.वेब सर्वर (Web server) से संपर्क साधने और डाटा पैकेट (packets) भेजने के लिए ये आईपी पता जरुरी है.
उसके बाद ब्राउजर वेब सर्वर के उस विशिष्ट पते पर HTTP की प्रार्थना भेज कर रिसोर्स से अनुरोध करता है.एक आम वेब पन्ने की बात करें तो, वेब ब्राउजर सबसे पहले उस पन्ने के HTML टेक्स्ट के लिए अनुरोध करता है और तुंरत ही उसका पदच्छेद (parsed)(PARSED) कर देता है, उसके बाद वेब ब्राउजर पुनः अनुरोध करता है उन छवियों और संचिकाओं के लिए जो उस पन्ने के भाग हैं.एक वेबसाइट की लोकप्रियता सामान्यत: इस बात से मापी जाती है की कितनी बार उसके पन्नों को देखा (page view) गया या कितनी बार उसके सर्वर को हिट (hits) किया गया या फिर कितनी बार उसकी संचिकाओं के लिए अनुरोध किया गया.
वेब सेवक से आवश्यक संचिकाएँ प्राप्त करने के बाद ब्राउज़र उस पन्ने को स्क्रीन पर HTML, CSS (CSS) एंवं अन्य वेब भाषाओँ के निर्देश के अनुसार प्रर्दशित (renders) करता है.जिस वेब पन्ने को हम स्क्रीन पर देखते हैं उसके निर्माण के लिए अन्य छवियों एंवं संसाधनों का भी इस्तेमाल होता है.
अधिकांश वेब पृष्ठों में उनसे संबंधित अन्य पृष्ठों और शायद डाउनलोड करने लायक वस्तु, स्रोत दस्तावेजों, परिभाषाएँ और अन्य वेब संसाधनों के हाइपरलिंक (hyperlink) स्वयं शामिल होंगे.इस उपयोगी और सम्बंधित संसाधनों के समागम को, जो की आपस में हाइपरटेक्स्ट लिंक के द्वारा जुड़े हुए हों, को जानकारी का "वेब" कहा गया.इसको इन्टरनेट पर उपलब्ध कराने को टीम बर्नर्स-ली नें सर्वप्रथम 1990 में विश्वव्यापीवेब( एक शब्द जो कैमलकेस (CamelCase) में लिखा गया पर बाद में त्याग दिया गया) का नाम दिया.
- विश्व व्यापी वितान," "W3," और "WWW" यहाँ पुनर्निर्देशित करें. अन्य उपयोगों के लिए, देखें वेब (Web) और WWW (disambiguation) (WWW (disambiguation)).
- "वेब सर्फिंग" यहाँ पुनर्निर्देशित करेगी.वेब ब्राउज़र के लिए, देखें WorldWideWeb (WorldWideWeb).
Search Engine list
Google - The world's most popular search engine. | |
Bing Search: Microsoft's entry into the burgeoning search engine market. Better late than never. | |
Yahoo! Search: The 2nd largest search engine on the web (as defined by a September 2007 Nielsen Netratings report. | |
AltaVista: Launched in 1995, built by researchers at Digital Equipment Corporation's Western Research Laboratory. From 1996 powered Yahoo! Search, since 2003 - Yahoo technology powers AltaVista. | |
Cuil: Cuil was a search engine website (pronounced as Cool) developed by a team of ex-Googlers and others from Altavista and IBM. Cuil, termed as the 'Google Killer' was launched in July, 2008 and claimed to be world’s largest search engine, indexing three times as many pages as Google and ten times that of MS. Now defunct. | |
Excite: Now an Internet portal, was once one of the most recognized brands on the Internet. One of the famous 90's dotcoms. | |
Go.com: The Walt Disney Group's search engine is now also an entire portal. Family-friendly! | |
HotBot was one of the early Internet search engines (since 1996) launched by Wired Magazine. Now, just a front end for Ask.com and MSN. | |
AllTheWeb: Search tool owned by Yahoo and using its database, but presenting results differently. | |
Galaxy: More of a directory than a search engine. Launched in 1994, Galaxy was the first searchable Internet directory. Part of the Einet division at the MCC Research Consortium at the University of Texas, Austin | |
search.aol: Now powered by Google. It is now official. | |
Live Search (formerly Windows Live Search and MSN Search) Microsoft's web search engine, designed to compete with Google and Yahoo!. Included as part of the Internet Explorer web browser. | |
Lycos: Initial focus was broadband entertainment content, still a top 5 Internet portal and the 13th largest online property according to Media Metrix. | |
GigaBlast was developed by an ex-programmer from Infoseek. Gigablast supports nested boolean search logic using parenthesis and infix notation. A unique search engine, it indexes over 10 billion web pages. | |
Alexa Internet: A subsidiary of Amazon known more for providing website traffic information. Search was provided by Google, then Live Search, now in-house applicaitons run their own search. |
गूगल की शुरुआत
गूगल की शुरुआत 1996 में एक रिसर्च परियोजना के दौरान लैरी पेज तथा
सर्जी ब्रिन ने की। उस वक्त लैरी और सर्जी स्टैनफौर्ड युनिवर्सिटी,
कैलिफ़ोर्निया में पीएचडी के छात्र थे। उस समय, पारंपरिक सर्च इंजन सुझाव
(रिsaसल्ट) की वरीयता वेब-पेज पर सर्च-टर्म की गणना से तय करते थे, जब कि
लैरी और सर्जी के अनुसार एक अच्छा सर्च सिस्टम वह होगा जो वेबपेजों के
ताल्लुक का विश्लेषण करे। इस नए तकनीक को उन्होनें पेजरैंक
(PageRank) का नाम दिया। इस तकनीक में किसी वेबसाइट की
प्रासंगिकता/योग्यता का अनुमान, वेबपेजों की गिनती, तथा उन पेजों की
प्रतिष्ठा, जो आरम्भिक वेबसाइट को लिंक करते हैं के आधार पर लगाया जाता है।
1996 में आईडीडी इन्फ़ोर्मेशन सर्विसेस के रॉबिन लि ने “रैंकडेक्स” नामक एक छोटा सर्च इंजन बनाया था, जो इसी तकनीक पर काम कर रहा था। रैंकडेक्स की तकनीक लि ने पेटेंट करवा लिया और बाद में इसी तकनीक पर उन्होंने बायडु नामक कम्पनी की स्थापना चीन में की। पेज और ब्रिन ने शुरुआत में अपने सर्च इंजन का नाम “बैकरब” रखा था, क्योंकि यह सर्च इंजन पिछले लिंक्स (backlinks) के आधार पर किसी साइट की वरीयता तय करता था।
अंततः, पेज और ब्रिन ने अपने सर्च इंजन का नाम गूगल (Google) रखा। गूगल अंग्रेज़ी के शब्द “googol” की गलत वर्तनी है, जिसका मतलब है− वह नंबर जिसमें एक के बाद सौ शुन्य हों। naamनाम “gooगूगल” इस बात को दर्शाता है कि कम्पनी का सर्च इंजन लोगों के लिए जानकारी बड़ी मात्रा में उपलब्ध करने के लिए कार्यरत है। अपने शुरुआती दिनों में गूगल स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अधीन google.stanford.edu नामक डोमेन से चला। गूगल के लिए उसका डोमेन नाम 15 सितंबर, 1997 को रजिस्टर हुआ। सितम्बर 4, 1998 को इसे एक निजि-आयोजित कम्पनी में निगमित किया गया। कम्पनी का पहला ऑफ़िस सुसान वोज्सिकि (उनकी दोस्त) के गराज मेलनो पार्क, कैलिफ़ोर्निया में स्थापित हुआ। क्रेग सिल्वरस्टीन, एक साथी पीएचडी छात्र, कम्पनी के पहले कर्मचारी बनें।
1996 में आईडीडी इन्फ़ोर्मेशन सर्विसेस के रॉबिन लि ने “रैंकडेक्स” नामक एक छोटा सर्च इंजन बनाया था, जो इसी तकनीक पर काम कर रहा था। रैंकडेक्स की तकनीक लि ने पेटेंट करवा लिया और बाद में इसी तकनीक पर उन्होंने बायडु नामक कम्पनी की स्थापना चीन में की। पेज और ब्रिन ने शुरुआत में अपने सर्च इंजन का नाम “बैकरब” रखा था, क्योंकि यह सर्च इंजन पिछले लिंक्स (backlinks) के आधार पर किसी साइट की वरीयता तय करता था।
अंततः, पेज और ब्रिन ने अपने सर्च इंजन का नाम गूगल (Google) रखा। गूगल अंग्रेज़ी के शब्द “googol” की गलत वर्तनी है, जिसका मतलब है− वह नंबर जिसमें एक के बाद सौ शुन्य हों। naamनाम “gooगूगल” इस बात को दर्शाता है कि कम्पनी का सर्च इंजन लोगों के लिए जानकारी बड़ी मात्रा में उपलब्ध करने के लिए कार्यरत है। अपने शुरुआती दिनों में गूगल स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अधीन google.stanford.edu नामक डोमेन से चला। गूगल के लिए उसका डोमेन नाम 15 सितंबर, 1997 को रजिस्टर हुआ। सितम्बर 4, 1998 को इसे एक निजि-आयोजित कम्पनी में निगमित किया गया। कम्पनी का पहला ऑफ़िस सुसान वोज्सिकि (उनकी दोस्त) के गराज मेलनो पार्क, कैलिफ़ोर्निया में स्थापित हुआ। क्रेग सिल्वरस्टीन, एक साथी पीएचडी छात्र, कम्पनी के पहले कर्मचारी बनें।
फेसबुक के 5 खतरे
सोश्यल नेटवर्किंग साइट फेसबुक आज लोगों के जीवन का हिस्सा बनती जा रही है.
मेलजोल बनाए रखने और दोस्तों एक साथ गपशप करने के लिए फेसबुक जैसी साइट का
अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा है.
परंतु कुछ साइबर विशेषज्ञ फेसबुक से उत्पन्न खतरों के बारे में गाहे बगाहे आगाह करते रहते हैं. चीफ सैक्यूरिटी ऑफिसर ऑनलाइन के वरिष्ठ सम्पादक जॉन गूडचाइल्ड का मानना है कि कम्पनियाँ अपने प्रचार के लिए फेसबुक जैसी साइट का उपयोग करना चाहती है परंतु ये कम्पनियाँ ध्यान नहीं देती कि उनकी गोपनियता खतरे में है.
सीबीसी न्यूज़ के 'द अर्ली शॉ ऑन सटरडे मोर्निंग' कार्यक्रम के दौरान गूडचाइल्ड ने फेसबुक के 5 ऐसे खतरों के बारे में जानकारी प्रदान की जिससे निजी और गोपनीय जानकारियों की गुप्तता खतरे में पड़ सकती है.
1. डेटा शेरिंग - पहली बात तो यह कि आपकी जानकारी केवल आप और आपके मित्रों तक ही सीमित नहीं रहती है. वह जानकारी थर्ड पार्टी अप्लिकेशन डेवलपरों तक पहुँच रही है.
2. पॉलिसी बदलाव - फेसबुक की हर रिडिजाइन के बाद उसकी प्राइवेसी सेटिंग बदल जाती है और वह स्वत: डिफाल्ट पर आ जाती है. प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु काफी कम प्रयोक्ता इस ओर ध्यान देते हैं.
3. मलवेर - फेसबुक पर प्रदर्शित विज्ञापन मलवेर हो सकते हैं. उनपर क्लिक करने से पहले विवेक से काम लें
4. पहचान उजागर - आपके मित्र जाने अनजाने आपकी पहचान और आपकी कोई गोपनीय जानकारी दूसरों से साझा कर सकते हैं.
5. जाली प्रोफाइल - फेसबुक पर सेलिब्रिटियों को मित्र बनाने से पहले अच्छी तरह से जाँच जरूर कर लें. स्कैमरों के द्वारा जाली प्रोफाइल बनाकर लोगों तक पहुँच बनाना काफी सरल है.
परंतु कुछ साइबर विशेषज्ञ फेसबुक से उत्पन्न खतरों के बारे में गाहे बगाहे आगाह करते रहते हैं. चीफ सैक्यूरिटी ऑफिसर ऑनलाइन के वरिष्ठ सम्पादक जॉन गूडचाइल्ड का मानना है कि कम्पनियाँ अपने प्रचार के लिए फेसबुक जैसी साइट का उपयोग करना चाहती है परंतु ये कम्पनियाँ ध्यान नहीं देती कि उनकी गोपनियता खतरे में है.
सीबीसी न्यूज़ के 'द अर्ली शॉ ऑन सटरडे मोर्निंग' कार्यक्रम के दौरान गूडचाइल्ड ने फेसबुक के 5 ऐसे खतरों के बारे में जानकारी प्रदान की जिससे निजी और गोपनीय जानकारियों की गुप्तता खतरे में पड़ सकती है.
1. डेटा शेरिंग - पहली बात तो यह कि आपकी जानकारी केवल आप और आपके मित्रों तक ही सीमित नहीं रहती है. वह जानकारी थर्ड पार्टी अप्लिकेशन डेवलपरों तक पहुँच रही है.
2. पॉलिसी बदलाव - फेसबुक की हर रिडिजाइन के बाद उसकी प्राइवेसी सेटिंग बदल जाती है और वह स्वत: डिफाल्ट पर आ जाती है. प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु काफी कम प्रयोक्ता इस ओर ध्यान देते हैं.
3. मलवेर - फेसबुक पर प्रदर्शित विज्ञापन मलवेर हो सकते हैं. उनपर क्लिक करने से पहले विवेक से काम लें
4. पहचान उजागर - आपके मित्र जाने अनजाने आपकी पहचान और आपकी कोई गोपनीय जानकारी दूसरों से साझा कर सकते हैं.
5. जाली प्रोफाइल - फेसबुक पर सेलिब्रिटियों को मित्र बनाने से पहले अच्छी तरह से जाँच जरूर कर लें. स्कैमरों के द्वारा जाली प्रोफाइल बनाकर लोगों तक पहुँच बनाना काफी सरल है.
फेसबुक छोड़ो अभियान
हाल ही में फेसबुक ने अपने सुरक्षा नियमों को पहले से कुछ कड़ा कर दिया है
जिसके कारण इसके उपयोक्ताओं में काफी रोष दिखा है। इसके कड़े सुरक्षा
नियमों से नाराज उपयोक्ताओं ने एक समूह बनाकर फेसबुक पर फेसबुक के विरुद्ध
ही अभियान चला दिया है। उन्होंने ने एक साइट बनाई है क्विटफेसबुकडे डॉट काम
जिसपर फेसबुक उपयोक्ताओं से ३१ मई को फेसबुक छोड़ो दिवस के रूप में मनाने
का आहवान किया है। इस वेबसाइट पर संदेश है कि यदि आप को लगता है कि फेसबुक
आपकी स्वतंत्रता, आपके निजी डाटा और वेब के भविष्य का सम्मान नहीं करता तो
आप फेसबुक छो़ड़ो अभियान में हमारा साथ दे सकते हैं। फेसबुक छोड़ना आसान
नहीं है, यह इतना ही मुश्किल है जितना की धूम्रपान छोड़ना लेकिन फिर भी
उपयोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए यह करना ही पड़ेगा। क्विटफेसबुकडे डॉट काम पर अब तक एक हजार से अधिक लोग ३१ मई को अपना फेसबुक खाता समाप्त करने की शपथ ले चुके हैं।
History of facebook
फेसबुक :Facebook इंटरनेट पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा
है, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ
संपर्क रख सकते हैं। यह फेसबुक इंकॉ. नामक निजी कंपनी द्वारा संचालित है।
इसके प्रयोक्ता नगर, विद्यालय, कार्यस्थल या क्षेत्र के अनुसार गठित किये
हुए नेटवर्कों में शामिल हो सकते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर
सकते हैं। इसका आरंभ २००४ में हार्वर्ड के एक छात्र मार्क ज़ुकरबर्ग ने की थी। तब इसका नाम द फेसबुक
था। कॉलेज नेटवर्किग जालस्थल के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज
परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप
में पहचाना जाने लगा। अगस्त २००५ में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। फेसबुक में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा है।
फेसबुक ने भारत सहित ४० देशों के मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से समझौता किया है। इस करार के तहत फेसबुक की एक नई साइट का उपयोग मोबाइल पर निःशुल्क किया जा सकेगा। यह जालस्थल फेसबुक का पाठ्य संस्करण है। भारत में रिलायंस कम्युनिकेशंस और वीडियोकॉन मोबाइल पर यह सेवा प्रदान करेंगे। इसके बाद शीघ्र ही टाटा डोकोमो पर भी यह सेवा शुरू हो जाएगी। इसमें फोटो व वीडियो के अलावा फेसबुक की अन्य सभी संदेश सेवाएं मिलेंगी।
फेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, छायाचित्र, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया होता है। इस पृष्ठ के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फेसबुक के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं। यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके माध्यम से किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए सभी जानने वालों को एक साथ आमंत्रित भी किया जा सकता है।
लोग इस जालस्थल पर अपनी रुचि, राजनीतिक और धार्मिक अभिरुचि व्यक्त कर
समान विचारों वाले सदस्यों को मित्र भी बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह
के संपर्क आदि जोड़ सकते हैं। साइट के विकासकर्त्ता भी ऐसे कई कार्यक्रम
तैयार करते रहते हैं, जिनके माध्यम से उपयोक्ता अपनी रुचियों को परिष्कृत
कर सकें। फेसबुक में अपने या अपनी रुचि के चित्र फोटो लोड कर उन्हें एक
दूसरे के साथ बांट भी कर सकते हैं। ये चित्र मात्र उन्हीं लोगों को
दिखेंगे, जिन्हें उपयोक्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिये चित्रों को देखनेका
अनुमति स्तर निश्चित करना होता है। चित्रों का संग्रह सुरक्षित रखने के
लिए इसमें पर्याप्त जगह होती है। फेसबुक के माध्यम से समाचार, वीडियो और
दूसरी संचिकाएं भी बांट सकते हैं। फेसबुक ने २००८ में अपना आवरण रूप बदला
था।
फेसबुक ने भारत सहित ४० देशों के मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से समझौता किया है। इस करार के तहत फेसबुक की एक नई साइट का उपयोग मोबाइल पर निःशुल्क किया जा सकेगा। यह जालस्थल फेसबुक का पाठ्य संस्करण है। भारत में रिलायंस कम्युनिकेशंस और वीडियोकॉन मोबाइल पर यह सेवा प्रदान करेंगे। इसके बाद शीघ्र ही टाटा डोकोमो पर भी यह सेवा शुरू हो जाएगी। इसमें फोटो व वीडियो के अलावा फेसबुक की अन्य सभी संदेश सेवाएं मिलेंगी।
फेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, छायाचित्र, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया होता है। इस पृष्ठ के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फेसबुक के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं। यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके माध्यम से किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए सभी जानने वालों को एक साथ आमंत्रित भी किया जा सकता है।
सामाजिक नेटवर्किंगों का इतिहास
सामाजिक नेटवर्किंग के नए तरीके 1990 के अंत तक विकसित किए गए, और कई साइटों ने मित्रों को खोजने तथा उनके प्रबंधन के लिए अधिक उन्नत सुविधाओं को विकसित करना प्रारंभ कर दिया. सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की यह नई पीढ़ी, 2002 में फ्रेंडस्टर के आने के साथ ही विकसित होना प्रारंभ हो गयी और जल्द ही इंटरनेट की मुख्यधारा का हिस्सा बन गयी. फ्रेंडस्टर के एक वर्ष पश्चात ही माईस्पेस तथा लिंक्डइन आ गए तथा इसके बाद बेबो आया. सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की लोक्रियता में तीव्र वृद्धि का सत्यापन इसी बात से किया जा सकता है कि 2005 तक माईस्पेस के देखे जाने वाले पेजों की संख्या गूगल से भी अधिक थी.
2004 में प्रारंभ हुई फेसबुक विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक नेटवर्किंग साइट बन चुकी है.
यह अनुमान है कि विभिन्न प्रकार के मॉडलों का प्रयोग करते हुए आज 200 से सक्रिय सामाजिक नेटवर्किंग साइटें हैं
Third party
Third-party programs may introduce other shortcuts using the
Windows key. For example, OneNote by Microsoft adds several shortcuts:
1. Win+S to take a screenshot for OneNote.
2. Win+N to open a new side note in OneNote.
3. Win+⇧ Shift+N to
open OneNote.
Windows 8 shortcuts KEYS:-
1. Win+C opens the charms.
2. Win+F opens file search screen to search for computer files.
3. Win+I opens Settings sidebar, where app-specific settings,
network options and shutdown button is located.
4. Win+Q opens app search screen to search for app shortcuts and
executable files. Does not work in settings search or file search screens.
5. Win+W opens setting search screen to search for Control Panel
applets.
6. Win+X to open a menu of advanced system functions. Replaced shortcut
to the Windows Mobility Center introduced in Windows Vista.
7. Win+SPACEBAR to change input method. Replaced a previous shortcut
introduced in Windows 7.
8. Win+Prt Scr to save current Print Screen to a "Screenshots"
folder under the "Pictures" library. All screenshots are saved as PNG
files.
Windows 7 shortcuts KEYS:-
1. Win+SPACEBAR to activate Aero Peek. Replaced a previous shortcut
introduced in Windows Vista.
2. Win+P to open the display and projector toggle (to switch between projection
modes when multiple monitors are present). Monitors can be cloned,
"extended" from the primary monitor, or deactivated altogether.
3. Win+↑ to maximize the active window.
4. Win+↓ to restore (default window size, not maximized nor in taskbar)
the active window.
5. Win+← or → to align the window to the respective side of the
screen, maximizing it vertically.
6. Win+⇧ Shift+← or
→ to move the window to the next or previous monitor, if multiple monitors are
used
7. Win+T to iterate through items on the taskbar.
8. Win++ or ⊞ Win
to zoom into the screen at the mouse cursor position using the Magnifier
Utility.
9. Win+- to zoom out if the Magnifier Utility is running.
10. Win+esc to cancel magnification and close the Magnifier Utility.
11.Win+1, ⊞ Win+2, ...
⊞ Win+0 to run or activate the
corresponding programs in the taskbar.
12. Win+Tab ↹ to toggle
between opened tabs if multiple tabs are open (works only in Aero Theme).
13.Win+0 runs the tenth item. Replaced the Quicklaunch shortcuts
introduced in Windows Vista.
Note: the numbers must be those
above the top row of alphabetic keys and not the ones on the number pad
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