Saturday 1 June 2013

नारायणमूर्ति और सुधामूर्ति उनके बारे में जो कहा जाए कम है।


नागवार रामाराव नारायणमूर्ति भारत की प्रसिद्ध सॉफ़्टवेयर कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और जानेमाने उद्योगपति हैं। उनका जन्म मैसूर (जन्म: 20 अगस्त, 1946) में हुआ। आई आई टी में पढ़ने के लिए वे मैसूर से बैंगलौर आए, जहाँ 1967 में इन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बैचलर आफ इन्जीनियरिंग की उपाधि और 1961 में आई आई टी कानपुर से मास्टर आफ टैक्नोलाजी की उपाधि प्राप्त की। नारायणमूर्ति आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने के कारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। उनके उन दिनों के सबसे प्रिय शिक्षक मैसूर विशवविद्यालय के डॉ. कृष्णमूर्ति ने नारायण मूर्ति की प्रतिभा को पहचान कर उनको हर तरह से मदद की। बाद में आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाने पर नारायणमूर्ति ने डॉ. कृष्णमूर्ति के नाम पर एक छात्रवृत्ति प्रारंभ कर के इस कर्ज़ को चुकाया
अपने कार्यजीवन का आरंभ नारायणमूर्ति ने पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम्स (PCS) पुणे से किया। बाद में अपने दोस्त शशिकांत शर्मा और प्रोफेसर कृष्णय्या के साथ 1975 में पुणे में सिस्टम रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। 1981 मे नारायणमूर्ति ने इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। मुम्बई के एक अपार्टमेंट में शुरू हुयी इस कंपनी की प्रगति की कहानी आज दुनिया जानती है। सभी साथियों की कड़ी मेहनत रंग लाई और 1991 मे इन्फ़ोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में परिवर्तित हुई। 1999 में कम्पनी ने उत्कृष्टता और गुणवत्ता का प्रतीक SEI-CMM हासिल किया। 1999 में कंपनी ने एक नया इतिहास रचा जब इसके शेयर अमरीकी शेयर बाजार NASDAQ में रजिस्टर हुए। नारायणमूर्ति 1981 से लेकर 2002 तक इस कम्पनी के मुख्य कार्यकारी निदेशक रहे। 2002 में उन्होंने इसकी कमान अपने साथी नन्दन नीलेकनी को थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। वे 1992 से 1994 तक नास्काम के भी अध्यक्ष रहे। सन 2005 में नारायण मूर्ति को विश्व का आठवां सबसे बेहतरीन प्रबंधक चुना गया।

आज एन आर नारायणमूर्ति अनेक लोगों के आदर्श हैं। चेन्नई के एक कारोबारी पट्टाभिरमण कहते हैं कि उन्होंने जो भी कुछ कमाया है वह मूर्ति की कंपनी इंफोसिस के शेयरों की बदौलत और उन्होंने अपनी सारी कमाई इंफोसिस को ही दान कर दी है। पट्टाभिरमण और उनकी पत्नी नारायणमूर्ति को भगवान की तरह पूजते हैं और उन्होंने अपने घर में मूर्ति का फोटो भी लगा रखा है।उन्हें पद्म श्री, पद्म विभूषण और ऑफीसर ऑफ द लेजियन ऑफ ऑनर- फ्रांस सरकार के सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। इस सूची में शामिल अन्य नाम थे-बिल गेट्स,स्टीव जाब्स तथा वारेन वैफ़े। 
इन्फोसिस लिमिटेड एक बहुराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी है जो बेंगलुरु, भारत मेंस्थित है.यह एक भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक है जिसके पास 30 जून, 2008 को (सहायकों सहित) 94,379 से अधिक पेशेवर हैं.इसके भारत में 9 विकास केन्द्र हैं, और दुनिया भर में 30 से अधिक कार्यालय हैं. वित्तीय वर्ष|वित्तीय वर्ष 2007-2008 के लिए इसका वार्षिक राजस्व US $ 4 बिलियन से अधिक है, इसकी बाजार पूंजी US $ 30 बिलियन से अधिक है.

इन्फोसिस की स्थापना 2 जुलाई, 1981 को पुणे में एन आर नारायण मूर्ति के द्वारा की गई। इनके साथ और छह अन्य लोग थे: नंदन निलेकानी , एनएसराघवन, क्रिस गोपालकृष्णन, एस डी.शिबुलाल, के दिनेश और अशोक अरोड़ा, राघवन के साथ आधिकारिक तौर पर कंपनी के पहले कर्मचारी.मूर्ति ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10,000 आई एन आर लेकर कम्पनी की शुरुआत की.कम्पनी की शुरुआत उत्तर मध्य मुंबई में माटुंगा में राघवन के घर में "इन्फोसिस कंसल्टेंट्स प्रा लि" के रूप में हुई जो एक पंजीकृत कार्यालय था.
2001 में इसे बिजनेस टुडे के द्वारा "भारत के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता " की श्रेणी में रखा गया. इन्फोसिस ने वर्ष 2003, 2004 और 2005, के लिए ग्लोबल मेक पुरस्कार जीता. यह पुरस्कार जीतने वाली यह एकमात्र कम्पनी बन गई, और इसके लिए इसे ग्लोबल हॉल ऑफ फेम में प्रोत्साहित किया गया

1996 में, इन्फोसिस ने कर्नाटक राज्य में इन्फोसिस संस्थान बनाया. जो स्वास्थ्य रक्षा सामाजिक पुनर्वास और ग्रामीण उत्थान, शिक्षा, कला और संस्कृति के क्षेत्रों में कार्य कर रहा है.तब से, यह संस्थान भारत के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और पंजाब राज्यों में फ़ैल गया है.इन्फोसिस संस्थान का नेतृत्व श्रीमती सुधा मूर्ति कर रही हैं, जो अध्यक्ष नारायण मूर्ति की पत्नी हैं. 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक में पैदा हुई सुधा मूर्ति की इन्फोसिस कंपनी की स्थापना में क्या भूमिका रही है उसे इसी बात से जाना जा सकता है कि उनकी ही बचत के दस हजार रूपये से इस कंपनी की नींव रखी गयी और नारायण मूर्ति आज भी बड़े गर्व से यह बात लोगों को अक्सर बताते हैं। सादा सी साड़ी और चेहरे पर सदा खिली रहने वाली मुस्कान सुधा मूर्ति के व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं।

जिंदगी में किन चीजों ने सुधा मूर्ति को सर्वाधिक प्रभावित किया है तो इसके जवाब में वह कहती हैं ‘ईसा मसीह तथा भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और जे आर डी टाटा के शब्दों और जीवन ने मुझे न केवल प्रभावित किया है बल्कि मेरी पूरी जिंदगी को एक दिशा दी है।’ क्रिस्टी कालेज में एमबीए और एमसीए विभाग की प्रतिभाशाली प्रोफेसर सुधा अपने छात्र जीवन में बहुत योग्य छात्रों में गिनी जाती रहीं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस में कम्प्यूटर साइंस की शिक्षा हासिल करते हुए उन्होंने विशेष रैंक हासिल किया।
                शिक्षा समाप्ति के बाद सुधा मूर्ति ने सबसे पहले ग्रेजुएट प्रशिक्षु के तौर पर टाटा कंपनी और बाद में दी वालचंद ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज में काम किया। कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में उन्हें महिलाओं के लिए महारानी लक्ष्मी अम्मानी कालेज की स्थापना करने का श्रेय जाता है जो आज बेंगलूर यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के तहत बेहद प्रतिष्ठित कालेज का दर्जा रखता है।

महिला अधिकारों की समानता के लिए भी सुधा मूर्ति ने बेहद काम किया है। इस संबंध में एक घटना उल्लेखनीय है। उस जमाने में टाटा मोटर्स में केवल पुरूषों को भर्ती करने की नीति थी जिसे लेकर सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को एक पोस्टकार्ड भेजा। इसका असर यह हुआ कि टाटा मोटर्स ने उन्हें विशेष साक्षात्कार के लिए बुलाया और वह टाटा मोटर्स (तत्कालीन टेल्को) में चयनित होने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ उपन्यास भी लिखे हैं। इन सभी उपन्यासों में महिला किरदारों को बेहद मजबूत और सिद्धांतों पर अडिग दर्शाया गया है।

सुधा मूर्ति का व्यक्तित्व और कृतित्व इतना विशाल है कि उसके बारे में जो कहा जाए कम है। इस महान महिला को भारत सरकार ने 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा और सत्यभामा विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डाक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया। सुधा मूर्ति की हस्ती इतनी विशाल है कि सभी पुरस्कार उनके सामने छोटे नजर आते हैं लेकिन खास बात है कि इसके बावजूद घमंड जैसा शब्द उनके व्यक्तित्व तो क्या उनकी परछायी तक को छू नहीं पाया है। कुछ लोग महान लक्ष्यों को हासिल करने का मकसद लेकर जिंदगी जीते हैं लेकिन सुधा मूर्ति एक ऐसी शख्सियत हैं जो जिंदगी को सादगी और दानिशमंदी के साथ जीने में यकीन रखती हैं और यही ‘सादगी और मन की उदारता’ उन्हें आज इस मुकाम पर ले आयी है जिसे देखने के लिए लोगों को आसमान तक नजरें बुलंद करनी पड़ती हैं।

उद्योग जगत में सफलता की नयी कहानी लिखने वाली आई टी कंपनी इन्फोसिस के इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा सुधा मूर्ति की जिंदगी मेहनत और मशक्कत की अद्भुत कहानी है। वह आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। एर्नेस्ट हेमिंग्वे ने किसी जगह कहा है ‘अंधेरे में रहने के बजाय एक दीया रोशन करना कहीं बेहतर है।’ सुधा मूर्ति की जिंदगी की कहानी भी इसी एक पंक्ति के इर्दगिर्द सिमटी है।

इन्फोसिस अध्यक्ष नारायण मूर्ति की जीवन संगीनी सुधा मूर्ति की सफलता इस बात को भी रेखांकित करती है कि पति के विशाल व्यक्तित्व की परछाई के नीचे दबने के बजाय कोई महिला यदि चाहे तो अपना अलग व्यक्तित्व गढ़ सकती है। बतौर इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति समाज के दबे कुचले तबके के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालांकि वह सुखिर्यों में आने से परहेज करती हैं लेकिन समाज सेवा के प्रति उनका जज्बा खुद ब खुद उनकी महानता को बखान करता है

2004 के बाद से, इन्फोसिस ने AcE - Academic Entente नमक कार्यक्रम के अंतर्गत दुनिया भर में अपने अकादमिक रिश्तों को मजबूत और औपचारिक बनाने की पहल की है. कम्पनी मामले का अध्ययन लेखन, शैक्षणिक सम्मेलनों और विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में भाग लेना, अनुसंधान में सहयोग, इन्फोसिस विकास केन्द्रों के लिए अध्ययन यात्राओं की मेजबानी करना, और इन्स्टेप ग्लोबल इंटर्नशिप कार्यक्रम चलाना आदि के माध्यम से महत्वपूर्ण दावेदारों के साथ संचार करती है.

1997 में, इन्फोसिस ने "Catch them Young Programme" की शुरुआत की, जिसमें एक गर्मी की छुट्टीयों के कार्यक्रम के आयोजन के द्वारा शहरी युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी की दुनिया के लिए आगे बढ़ने का मौका दिया गया.इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कंप्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के बारे में समझ और रूचि विकसित करना.इस कार्यक्रम में श्रेणी IX के स्तर के छात्रों को लक्ष्य बनाया गया.

2002 में, पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के (University of Pennsylvania) व्हार्टन बिजनेस स्कूल (Wharton Business School) और इन्फोसिस ने व्हार्टन इन्फोसिस व्यवसाय रूपांतरण पुरस्कार (Wharton Infosys Business Transformation Award) की शुरुआत की.यह तकनीकी पुरस्कार उन व्यक्तियों और एंटरप्राइजेज को मान्यता देता है जिन्होंने अपने व्यापार और समाज की सूचना प्रौद्योगिकी को रूपांतरित कर दिया है.पिछले विजेताओं में शामिल हैं Samsung Amazon.com Capital One RBS ING हैं

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