1. पति-पत्नी मिलकर घरेलू बजट तैयार करें और तय करें कि हर महीने
बुनियादी जरूरतों के लिए कितना पैसा चाहिए। अगर किसी मद में ज्यादा खर्च हो
रहा हो तो दूसरे किसी मद में अपना खर्च कम करने की कोशिश करें।
2. आमदनी व खर्च का ब्यौरा तैयार करने के बाद तय करें कि कितनी बचत
करेंगे। जिसकी आमदनी ज्यादा है उसका खर्च या बचत भी अधिक हो सकती है। इसे
लेकर व्यर्थ विवाद न खड़ा करें।
3. बचत के अलावा आकस्मिक खर्च का मद भी अवश्य रखें, ताकि कभी संकट में उसका उपयोग किया जा सके।
4. एक-दूसरे को इतनी स्वतंत्रता दें कि वह खुद पर कुछ खर्च कर सके और इस
पर कोई सवाल न खड़ा किया जाए। सभी की कुछ निजी जरूरतें होती हैं। बेहतर है
इन्हें लेकर बहस न करें और न एक-दूसरे से कोई सवाल करें।
5. परिवार में शादी बीमारी या अन्य मौकों पर खर्च की संभावना हो तो हाथ
खड़े करने के बजाय मदद कैसे की जाए इस बारे में सोचें।
6. 'मैं सही-तुम
गलत..' इस अंदाज में पार्टनर से बात न करें। अपना स्वर ऐसा रखें कि दूसरे
को यह न लगे कि आप उस पर हावी होना चाहते हैं। पैसे को लेकर आक्रामक होने
से बचें।
7. बैंक अकाउंट्स, निवेश या मेडिक्लेम पॉलिसीज के बारे में जानकारी
पति-पत्नी दोनों को होनी चाहिए ताकि किसी संकट की घड़ी में परेशानी से
बचा जा सके।
8. रिश्ते में इतनी पारदर्शिता हो कि एक-दूसरे से रुपये-पैसे के बारे
में कुछ छिपाने की जरूरत न पड़े।दांपत्य भरोसे पर ही टिकता है।
9. पारिवारिक शांति के लिए थोड़ा समझौता करना सीखें। अगर पति या पत्नी
में से कोई एक ज्यादा खर्चीला हो तो उसे नियंत्रित करने के बजाय शांत ढंग
से इस दिशा में काम करें कि कैसे बिना उसे आहत किए उसके खर्च घटाए जा सकते
हैं।
10 सभी जिम्मेदारियां
मिल-जुलकर निभाएं।