Wednesday 3 April 2013

क्रांति लाने साथ आए अंबानी बंधु दूरसंचार कारोबार में

अरबपति उद्योगपति अंबानी भाइयों ने 2005 में अंबानी साम्राज्य के बंटवारे के बाद पहली बार हाथ मिलाया है.
दोनों की कंपनियों ने दूरसंचार कारोबार में 1,200 करोड़ रुपए के सहयोग का करार किया है.
                      इस समझौते के तहत बड़े भाई मुकेश अंबानी अपने नए दूरसंचार उपक्रम के लिए छोटे भाई अनिल की कंपनी के आप्टिक फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेंगे. समझौता करीब 1,200 करोड़ रुपये का है.
                     इसके तहत मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की दूरसंचार इकाई रिलायंस जियो इन्फोकाम लिमिटेड चौथी पीढ़ी ‘4जी’ की सेवाओं की शुरुआत के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी.
भविष्य में इस करार का और विस्तार हो सकता है. इसके तहत छोटे भाई अनिल की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस अपने 20,000 दूरसंचार टावर रिलायंस जियो को पट्टे पर दे सकती है, जिसके तहत बड़े भाई मुकेश ब्रॉडबैंड के साथ वॉइस सेवाओं की भी पेशकश कर सकेंगे.
दोनों कंपनियों ने अलग-अलग बयानों में कहा है कि देश की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को पारस्परिक आधार पर रिलायंस जियो के बनाए गए ऑप्टिक फाइबर ढांचे के इस्तेमाल का अधिकार होगा.
                                                    दोनों कंपनियों की भविष्य में दूरसंचार टावरों की भागीदारी की योजना है.
देश में सभी 22 सेवा क्षेत्रों में 4जी स्पेक्ट्रम सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है. वह रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के इस्तेमाल के लिए 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी.
वहीं दूसरी ओर कर्ज के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस को इस सौदे से अतिरिक्त आमदनी जुटाने में मदद मिलेगी. पिछली 14 में से 13 तिमाहियों में रिलायंस कम्युनिकेशंस का मुनाफा घटा है.
पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों में 2005 में बंटवारा हो गया था.
बंटवारे के तहत मुकेश ‘55’ के खाते में पेट्रोरसायन, रिफाइनरी और तेल एवं गैस कारोबार गया. वहीं अनिल को बिजली, वित्तीय सेवाएं और दूरसंचार कारोबार मिला.
शुरुआती करार के तहत दोनों भाई एक दूसरे से सीधी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते थे. प्रतिस्पर्धा की अनुमति न देने वाला यह करार मई, 2010 में समाप्त कर दिया गया.
उसी साल रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इन्फोटेल ब्रॉडबैंड में 95 फीसद हिस्सेदारी खरीदी.
इन्फोटेल ब्रॉडबैंड के पास ब्रॉडबैंड संचार सेवाएं देने का स्पेक्ट्रम था. इसके बाद वह सीधे रिलायंस कम्युनिकेशंस की प्रतिस्पर्धा में आ गई.
इन्फोटेल ब्रॉडबैंड का नाम अब रिलायंस जियो इन्फोकाम हो गया है, लेकिन कंपनी ने अभी तक अपनी सेवाएं शुरू नहीं की हैं.
सरकार ने हाल में उन नियमों को मंजूरी दी है जिनके तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम 4जी स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के जरिये मोबाइल फोन कॉल सेवाएं भी उपलब्ध करा पाएगी.
इस करार से मुकेश अंबानी के लिए एक बार फिर से मोबाइल फोन सेवा कारोबार में उतरने का रास्ता खुलेगा.
करार की शर्तों की तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम अपनी 4जी सेवाओं की शुरुआत के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के 1,20,000 किलोमीटर के ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी.
करार के तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम द्वारा भविष्य में बनाए जाने वाले ऑप्टिक फाइबर ढांचे का इस्तेमाल रिलायंस कम्युनिकेशंस भी कर सकेगी.
बयान में कहा गया है कि करार के तहत ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के उन्नयन के लिए तत्काल संयुक्त कार्य व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे अगली पीढ़ी की सेवाएं बिना किसी बाधा के उपलब्ध कराई जा सके
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