Wednesday 10 April 2013

इंटरनेट क्या है

1969 ई0  अमेरिकी रक्षा विभाग के एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (ARPA) ने सं.रा.अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके इंटरनेट 'अप्रानेट' (ARPANET) की शुरुआत की। इसका विकास, शोध, शिक्षा और सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। इसका एक अन्य उद्देश्य था आपात स्थिति में जबकि संपर्क के सभी साधन निष्क्रिय हो चुके हों, आपस में सम्पर्क स्थापित किया जा सके। 1971 तक एपीआरए नेट लगभग 2 दर्जन कम्प्यूटरों को जोड़ चुका था।

1972 ई0  इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल की शुरुआत।

1973 ई0 ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/ इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) को डिजाइन किया गया। 1983 तक आते-आते यह इंटरनेट पर दो कम्प्यूटरों के बीच संचार का माध्यम बन गया। इसमें से एक प्रोटोकॉल, एफ टी पी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट प्रयोगकर्ता किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है।

1983 ई0 अप्रानेट के मिलेट्री हिस्से को मिलनेट (MILNET) में डाल दिया गया।

1986 ई0 यू. एस. नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) ने एनएसएफनेट (NSFNET) लाँच किया। यह पहला बड़े पैमाने का नेटवर्क था, जिसमें इंटरनेट तकनीक का प्रयोग किया गया था।

1988 ई0 फिनलैंड के जाक्र्को ओकेरीनेने ने इंटरनेट चैटिंग का विकास किया।



1989 ई0 मैकगिल यूनीवर्सिटी, माँट्रियाल के पीटर ड्यूश ने प्रथम बार इंटरनेट का इंडेक्स (अनुक्रमणिका) बनाने का प्रयास किया। थिंकिंग मशीन कार्पोरेशन के ब्रिऊस्टर कहले ने एक अन्य इंडेक्सिंग सिक्सड, डब्ल्यू ए आई एस (वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सर्वर) का विकास किया। सीईआरएन (यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पाटकल फिजिक्स) के बर्नर्स-ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण की एक नई तकनीक का विकास किया, जिसे अंतत: वल्र्ड वाइड वेब कहा गया। यह वेब हाइपरटेक्स्ट पर आधारित है, जो कि किसी इंटरनेट प्रयोगकर्ता को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डाक्यूमेंट को दूसरे से जोड़ता है। यह कार्य हाइपरलिंक (विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफिक्स) के माध्यम से होता है।

1991 ई.0  प्रथम यूज़र फ्रेंडली इंटरफेस, गोफर का मिन्नेसोटा यूनिवर्सिटी (सं.रा. अमेरिका) में विकास। तब से गोफर सर्वाधिक विख्यात इंटरफेस बना हुआ है; एनएसएफनेट को कॉमॢशयल ट्रैफिक के लिए खोला गया।

1993 ई0 नेशनल सेंटर ऑफ सुपरकम्प्यूटिंग एप्लीकेशंसÓ के मार्क एंड्रीसन ने मोजेइक नामक नेवीगेटिंग सिस्टम का विकास किया। इस सॉफ्टवेयर के द्वारा इंटरनेट को मैगज़ीन फॉर्मेट में पेश किया जाने लगा। इस सॉफ्टवेयर से टेक्स्ट और ग्राफिक्स इंटरनेट पर उपलब्ध हो गए। आज भी यह वल्र्ड वाइड वेब के लिए मुख्य नेवीगेटिंग सिस्टम है।

1994 ई0 नेटस्केप कम्युनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने-अपने ब्राउज़र बाजार में उतारे। इन ब्राउज़रों से प्रयोगकर्ताओं के लिए इंटरनेट का प्रयोग अत्यन्त आसान हो गया।

1995 ई.0 प्रारंभिक व्यावसायिक साइट्स को इंटरनेट पर लाँच किया गया। ई-मेल के द्वारा मास मार्केटिंग कैम्पेन चलाए जाने लगे।

1996 ई0 1996 तक आते आते दुनिया भर में इंटरनेट को काफी लोकप्रियता हासिल हो गई। इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या 4.5 करोड़ पहुँची।

1999 ई0 ई-कॉमर्स की अवधारणा अत्यन्त तेजी से फैली, जिससे इंटरनेट के द्वारा खरीद-फरोख्त लोकप्रिय हो गई।

2003 ई.0न्यूजीलैण्ड में 'नियूइ' (NIUE) ने इंटरनेट में देशव्यापी 'वायरलेस एक्सेस' प्रणाली का प्रयोग आरंभ किया (इसमें ङ्खद्ब-स्नद्ब तकनीक का प्रयोग किया जाता है)।

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