Tuesday 23 April 2013

फेसबुक पर मासूम की नीलामी

 एक नाना ने तीन दिन के नाती को महज कुछ रुपयों के लिए बेच दिया। यह बच्चा पहली बार 45 हजार रुपये में बिका फिर साढ़े तीन लाख रुपये में और बाद में दिल्ली के एक कारोबारी ने फेसबुक के जरिए इस बच्चे को 8 लाख रुपये में खरीदा।
लुधियाना में हुई इस घटना में हैरत इस बात पर है कि पंजाब में बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह की जड़ें न केवल गहराई तक जमी हैं बल्कि अपना गोरखधंधा चलाने के लिए वे सोशल साइट्स का भी इस्तेमाल कर रहे थे। यह बच्चा आखिर में मां के शक के कारण बच गया। पुलिस ने दिल्ली के कारोबारी से बच्चा बरामद कर मां को सुपुर्द कर दिया है जबकि लुधियाना के एक अस्पताल की नर्स और बच्चे के नाना को गिरफ्तार कर लिया है। इस गोरखधंधे में शामिल नर्स के साथी और बिचौलिये की भूमिका निभाने वाले फेसबुक फ्रेंड की तलाश भी तेज कर दी गई है।

जानकारी के मुताबिक, अपने पिता की करतूत का खुलासा खुद बेटी ने पुलिस के सामने किया। दरअसल, लुधियाना के इकबाल नगर की रहने वाली नूरा 8 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुई थी। 9 अप्रैल को बेटा पैदा हुआ और 10 अप्रैल को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 10 अप्रैल को नर्स और उसका साथी बच्चे को यह कहते हुए ले गए कि बच्चे की तबीयत खराब है और उसे इलाज की जरूरत है। 12 अप्रैल को जब नूरा ने नर्स से मुलाकात की और बच्चे के बारे में पूछा तो नर्स ने उसके पिता फिरोज को 45 हजार रुपये देते हुए कहा कि उसके बच्चे की मौत हो गई है। यह बात सुनकर वह सन्न रह गई। उसने सोचा कि अगर बच्चा मरा है तो उसे पैसे क्यों दिए गए? इस बीच फिरोज पैसे लेकर चला गया। उसने तुरंत अपने पड़ोसियों को सारी कहानी बताई। पड़ोसियों को लेकर नूरा सीधे पुलिस के पास पहुंची।
पुलिस ने तहकीकात शुरू की तो मामले की कड़ियां खुलती चली गईं। सबसे पहले नर्स को दबोचा गया।
 पता चला कि बच्चे के नाना ने ही अपने नाती को 45 हजार रुपये में बेच दिया था। उसने बताया कि गिरोह में शामिल उसके साथी ने एक बिचौलिये को बच्चा साढ़े तीन लाख में बेच दिया। इधर, एक दिल्ली का निसंतान कारोबारी भी बच्चे की चाहत रखता था और वह इस गिरोह के कॉन्टैक्ट में आ गया। दरअसल बिचौलिए ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर बच्चे की तस्वीर लगा दी थी। कारोबारी ने इसमें दिलचस्पी दिखाई और बच्चे के एवज में मुंहमांगे पैसे देने को तैयार हो गया। बच्चे का सौदा 8 लाख रुपये में तय हुआ। कारोबारी ने पैसे चुका दिए और दिल्ली में बच्चे के नामकरण की तैयारियां शुरू कर दीं लेकिन पुलिस ने वक्त रहते कारोबारी का पता लगा लिया। कारोबारी का दावा है कि उसने बच्चा वैध तरीके से लिया है। कारोबारी ने बच्चे का इलाज महंगे अस्पताल में भी करवाया था।
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