ऐसी कठिन डगर पर चलते हुए अगर नरेंद्र मोदी पटना के गाँधी मैदान से
कविता के ज़रिए बताते हैं कि सिकंदर जब दीन-ए-इलाही का बेबाक बेड़ा लेकर
विश्वविजय करते हुए हिंदुस्तान आया तो दीन-ए-इलाही के बेड़े को गंगा में
डुबो दिया और बिहार के सैनिकों ने उसे परास्त करके भगा दिया.
अब इतिहास के किस विद्वान में है हिम्मत कि वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार से पूछे कि सिकंदर ने दीन-ए-इलाही का प्रचार कब किया था, सर? और किस सन में वो विश्वविजय करके पटना में आया जहाँ उसे बिहार के सैनिकों ने उसे परास्त किया और मार भगाया?
उन्हें इस बात का एहसास था कि मुसलमानों और यादवों की ओर हाथ बढ़ाने से भारतीय जनता पार्टी के अगड़े वोट बैंक पर कहीं ग़लत असर न पड़े. इसलिए उन्होंने प्राचीन भारत के ब्राह्मण कूटनीतिज्ञ चाणक्य का सहारा लिया.
मोदी ने कहा, “मित्रों यही धरती है जिस धरती पर चाणक्य पैदा हुए थे और वो कालखंड हिंदुस्तान का स्वर्णिम कालखंड था. चाणक्य का मंत्र था सबको जोड़ो....”
उन्होंने फिर विश्लेषण किया कि चाणक्य का काल इसलिए स्वर्णिम काल था क्योंकि तब “हिंदुस्तान का मानचित्र सबसे फैला हुआ था”.
पर मोदी के मुताबिक़ “फिर काँग्रेस आई जिसने विभाजन का नारा उठाया, संप्रदाय के नाम पर बार बार तोड़ा. दूसरे आए जिन्होंने जातिवाद का ज़हर फैलाया, तीसरे आए जिसने जाति के भीतर भी जाति पैदा करने का प्रयास किया.
बिहार में फिर से एक बार अगर ‘सवर्ण’ युग लाना है, अगर बिहार को फिर से चाणक्य की उस महान विरासत को हासिल करना है तो हमें जोड़ने की राजनीति करनी पड़ेगी, तोड़ने की राजनीति से देश नहीं चलेगा.”
अब इतिहास के किस विद्वान में है हिम्मत कि वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार से पूछे कि सिकंदर ने दीन-ए-इलाही का प्रचार कब किया था, सर? और किस सन में वो विश्वविजय करके पटना में आया जहाँ उसे बिहार के सैनिकों ने उसे परास्त किया और मार भगाया?
उन्हें इस बात का एहसास था कि मुसलमानों और यादवों की ओर हाथ बढ़ाने से भारतीय जनता पार्टी के अगड़े वोट बैंक पर कहीं ग़लत असर न पड़े. इसलिए उन्होंने प्राचीन भारत के ब्राह्मण कूटनीतिज्ञ चाणक्य का सहारा लिया.
मोदी ने कहा, “मित्रों यही धरती है जिस धरती पर चाणक्य पैदा हुए थे और वो कालखंड हिंदुस्तान का स्वर्णिम कालखंड था. चाणक्य का मंत्र था सबको जोड़ो....”
उन्होंने फिर विश्लेषण किया कि चाणक्य का काल इसलिए स्वर्णिम काल था क्योंकि तब “हिंदुस्तान का मानचित्र सबसे फैला हुआ था”.
पर मोदी के मुताबिक़ “फिर काँग्रेस आई जिसने विभाजन का नारा उठाया, संप्रदाय के नाम पर बार बार तोड़ा. दूसरे आए जिन्होंने जातिवाद का ज़हर फैलाया, तीसरे आए जिसने जाति के भीतर भी जाति पैदा करने का प्रयास किया.
बिहार में फिर से एक बार अगर ‘सवर्ण’ युग लाना है, अगर बिहार को फिर से चाणक्य की उस महान विरासत को हासिल करना है तो हमें जोड़ने की राजनीति करनी पड़ेगी, तोड़ने की राजनीति से देश नहीं चलेगा.”