Wednesday 30 October 2013

खुशहाल देश के बर्बाद पत्रकार

पत्रकार उस व्यक्ति को कहते हैं जो समसामयिक घटनाओं, लोगों, एवं मुद्दों आदि पर सूचना एकत्र करता है एवं जनता में उसे विभिन्न माध्यमों की मदद से फैलाता है। इस व्यवसाय या कार्य को पत्रकारिता कहते हैं।

संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं। स्तम्भकार  भी पत्रकार हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सम्पादक, फोटोग्राफर एवं पृष्ठ डिजाइनर आदि भी पत्रकार ही हैं।

एक ऐसी ही उदाहरण हैं। पिछले पांच महीनों से उन्हें पूरी तनख्वाह नहीं मिली है। “मैं सुबह 10 बजे अपने तीन महीने के बच्चे को लेकर ऑफिस आ जाती थी, क्योंकि घर पर उसे संभालने वाला कोई नहीं था। मैं घर वापस करीब रात 10 बजे ही जा पाती थी, इसके बावजूद मुझे अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा ही नसीब होता था, जो महज़ घर का किराया देने में खत्म हो जाता,” अखबार का नाम गुप्त रखने वाली सुश्री डेमा ने बताया। “India  के निजी मीडिया के पत्रकारों में खुशी का अनुपात निराशाजनक है  क्योंकि सारे अखबार 90 फीसदी लाभ के लिए सरकारी विज्ञापनों पर निर्भर हैं, लिहाज़ा प्रत्येक प्रकाशन में विज्ञापनों की संख्या का हिस्सा स्वाभाविक तौर पर कम होता चला गया, श्री जांगपो ने बताया। लेकिन स्थिति का बद से बदतर होना अभी बाकी था। कुछ सालों के अंदर-अंदर, इस छोटे राष्ट्र में आई आर्थिक मंदी के कारण ये हिस्सा आकार में खुद-ब-खुद कम हो गया। हालांकि कुछ मानते हैं कि इसमें पिछली सरकार का हाथ है। उनका कहना है कि निजी मीडिया ने आरोप-प्रत्यारोप वाली खबरें दिखाईं, तो पिछली सरकार ने बहाना बनाते हुए आर्थिक मंदी को उनके खिलाफ इस्तेमाल किया।
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