Thursday 24 October 2013

सदा के लिए शांत हो गए मन्ना डे मन्ना डे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि आज तक बॉलीवुड में कोई भी सिंगर उनकी आवाज की नकल नहीं कर पाया।


भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के स्वर्णिम युग के महान गायक मन्ना डे का देहांत हो गया है। मन्ना बेंगलुरू के एक अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत थी। वो 94 साल के हो चुके थे।
 
मन्ना डे को बुधवार को ही आईसीयू में शिफ्ट किया गया था जहां आज तड़के 4 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। वैसे वो पिछले कई महीनों से अस्पताल से अंदर-बाहर होते रहे थे लेकिन सितंबर में जब वो अस्पताल में भर्ती हुए थे, तो उसके बाद बाहर नहीं आए थे।
 
मन्ना डे का जन्म 1919 में हुआ था और उनका असली नाम प्रबोध चंद्र डे। फिल्म इंडस्ट्री ने ही उन्हें मन्ना निकनेम दिया था। उन्होंने हिन्दी के अलावा बंगाली, असमी, मराठी, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, पंजाबी और यहां तक कि भोजपुरी भाषा तक में गाने गाए हैं।
 
मन्ना डे के सबसे चर्चित गानों में 'एक चतुर नार', 'जिंदगी कैसी ये पहली', 'ऐ मेरी जोहराजबीं', 'यारी है ईमान मेरा' जैसे कई फेमस गानें शामिल हैं। मन्ना ने सबसे ज्यादा राज कपूर के लिए गाने गाए हैं। कंपोजर सलिल चौधरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ उनकी जोड़ी को ऑडियंस ने खूब पसंद किया है।
 
मन्ना डे को पद्मश्री, पद्म भूषण और दादासाहब फाल्के अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है। उनकी दो बेटियां हैं शुरोमा और सुमिता। मन्ना डे की पत्नी सुलोचना का कैंसर की वजह से पिछले साल देहांत हो गया था। मन्ना डे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि आज तक बॉलीवुड में कोई भी सिंगर उनकी आवाज की नकल नहीं कर पाया।
 
मन्ना बॉलीवुड के सबसे सफल गायक तो थे ही, साथ ही एक दौर तो ऐसा भी रहा है जब गायक का मतलब ही मन्ना डे होकर रह गया था यानी वह सभी फिल्मकारों की पहली पसंद थे। मन्ना डे ने पार्श्व गायक के रूप में अपना करियर 1940 के दशक में शुरू किया था। उन्होंने अपने गायन करियर में अब तक 3,500 से ज्यादा गाने गाए हैं।
 
फिल्मी गीत हो या भजन ...गायक को तो गाना है...
 
मन्ना डे शास्त्रीय, रूमानी, कभी हल्के फुल्के, कभी भजन तो कभी पाश्चात्य धुनों वाले गाने भी गाए। पिछले महीने ही मन्ना डे का 94वां जन्मदिन मनाया गया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनसे मुलाकात की थी।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...